Friday, December 27, 2019

बीबीसी के वीडियो पर बीजेपी और कांग्रेस का एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप

गुरुवार की सुबह कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक ट्वीट किया. उसमें उन्होंने असम के डिटेंशन सेंटर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को झूठा कहा.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

उन्होंने लिखा, "RSS का प्रधानमंत्री भारत माता से झूठ बोलता हैं."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इसके साथ ही उन्होंने असम से बीबीसी हिंदी के लिए काम करने वाले स्थानीय पत्रकार दिलीप शर्मा की उस रिपोर्ट को ट्वीट किया जिसमें असम के एक निर्माणाधीन डिटेंशन सेंटर की रिपोर्ट थी.
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राहुल के इस ट्वीट के कुछ ही देर बाद बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने एक ट्वीट के ज़रिए अपनी प्रतिक्रिया दी.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

मालवीय ने राहुल को झूठा बताते हुए एक प्रेस विज्ञप्ति शेयर किया जिसे 2011 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार से जारी बताया गया.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इस विज्ञप्ति के मुताबिक़ 2011 में कांग्रेस सरकार ने असम के ग्वालपाड़ा, कोकराझार और सिल्चर में 362 अवैध प्रवासियों को डिटेंशन सेंटर भेजने का दावा किया था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

हालांकि इसके बाद बीजेपी ने राहुल गांधी के ट्वीट को गंभीरता से लेते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी आयोजित किया.
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बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने इस दौरान मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए बेहद आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

उन्होंने कहा, "आज राहुल गांधी जी ने कुछ ट्वीट किया है और जिस प्रकार की भाषा का प्रयोग किया है वो बहुत आपत्तिजनक है. उन्होंने कहा है कि RSS का प्रधानमंत्री भारत माता से झूठ बोलता है. मुझे लगता है राहुल गांधी से भद्रता और अच्छी भाषा की अपेक्षा करना ही ग़लत है.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

उन्होंने कहा, "राफेल पर झूठ फैलाने के बाद सुप्रीम कोर्ट में राहुल गांधी जी ने माफ़ी मांगी थी. आज वो प्रधानमंत्री जी की बात को लेकर भ्रम फैला रहे हैं.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

संबित पात्रा ने कहा, "प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि ऐसा कोई डिटेंशन कैंप नहीं है, जिसमें एनआरसी के बाद हिंदुस्तान के मुसलमानों को रखा जाएगा. ये झूठ फैलाया जा रहा है. इसमें प्रधानमंत्री जी ने क्या झूठ बोला है?''
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उन्होंने कहा, ''13 दिसंबर 2011 को केंद्र सरकार के एक प्रेस रिलीज में कहा गया था कि 3 डिटेंशन कैंप असम में खोले गये हैं. साल 2011 में केंद्र में कांग्रेस सरकार थी.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

दरअसल यह पूरी चर्चा शनिवार (21 दिसंबर) को दिल्ली के रामलीला मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस दावे के बाद शुरू हुई जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है. उन्होंने इसे अफ़वाह बताया था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "सिर्फ़ कांग्रेस और अर्बन नक्सलियों द्वारा उड़ाई गई डिटेन्शन सेन्टर वाली अफ़वाहें सरासर झूठ है, बद-इरादे वाली है, देश को तबाह करने के नापाक इरादों से भरी पड़ी हैं - ये झूठ है, झूठ है, झूठ है."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

उन्होंने कहा, "जो हिंदुस्तान की मिट्टी के मुसलमान हैं, जिनके पुरखे मां भारती की संतान हैं. भाइयों और बहनों, उनसे नागरिकता क़ानून और एनआरसी दोनों का कोई लेना देना नहीं है. देश के मुसलमानों को न डिटेंशन सेन्टर में भेजा जा रहा है, न हिंदुस्तान में कोई डिटेंशन सेन्टर है. भाइयों और बहनों, ये सफ़ेद झूठ है, ये बद-इरादे वाला खेल है, ये नापाक खेल है. मैं तो हैरान हूं कि ये झूठ बोलने के लिए किस हद तक जा सकते हैं."
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प्रधानमंत्री मोदी के दावे के बाद बीबीसी हिंदी सेवा के लिए काम करने वाले स्थानीय पत्रकार दिलीप शर्मा वहां के एक निर्माणाधीन डिटेंशन सेंटर की पड़ताल करने पहुंचे. देखें ये पूरा वीडियो.
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ऐसा नहीं है कि बीबीसी ने असम के डिटेंशन सेंटर पर पहली बार कोई कहानी की हो. इससे पहले भी बीबीसी संवाददाता नितिन श्रीवास्तव की साल 2018 की एक रिपोर्ट डिटेंशन सेंटर से बाहर आए लोगों ने दास्तां बयां करती है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

बीबीसी संवाददाता नितिन श्रीवास्तव की रिपोर्ट के मुताबिक़, "जिन लोगों को यहाँ रहना पड़ रहा है या जो लोग यहाँ रह चुके हैं, उनके लिए ये डिटेंशन कैंप एक भयानक सपना है जिसे भुलाने में वे दिन-रात लगे हैं."
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इसी तरह बीबीसी संवाददाता प्रियंका दुबे ने भी असम के डिटेंशन सेंटरों से जुड़ी रिपोर्टिंग की है.
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बीबीसी संवाददाता प्रियंका दुबे की रिपोर्ट के मुताबिक़, "नागरिकता तय करने की दुरूह क़ानूनी प्रक्रिया में खोए असम के बच्चों का भविष्य फ़िलहाल अंधेरे में डूबा हुआ सा लगता है. कभी डिटेंशन में बंद माँ बाप के जेल के सख़्त माहौल में रहने को मजबूर तो कभी उनके साये के बिना बाहर की कठोर दुनिया को अकेले सहते इन बच्चों की सुध लेने वाला, फ़िलहाल कोई नहीं."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

भारत की संसद में इस साल हुए सवालों और जवाबों को देखा जाए तो पता चलता है कि डिटेंशन सेंटर के बारे में संसद में चर्चा हुई है और केंद्र सरकार ने माना है कि उन्होंने राज्य सरकारों को इस बारे में लिखा है.
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राज्यसभा में 10 जुलाई 2019 को पूछे गए एक सवाल के उत्तर में गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा था कि देश में आए जिन अवैध लोगों की नागरिकता की पुष्टि जब तक नहीं हो जाती और उन्हें देश से बाहर नहीं निकला जाता, तब तक राज्यों को उन्हें डिटेंशन सेंटर में रखना होगा. इस तरह के डिटेंशन सेंटर की सही संख्या के बारे में अब तक कोई रिकॉर्ड नहीं रखा गया है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

उन्होंने कहा था कि 9 जनवरी 2019 को केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपने प्रदेश में डिटेंशन सेंटर बनाने के लिए 'मॉडल डिटेन्शन सेन्टर या होल्डिंग सेन्टर मैनुअल' दिया है.

द हिंदू में इसी साल अगस्त में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार इस साल 2 जुलाई 2019 में लोकसभा में बीजेपी नेता और केंद्रीय राज्य गृह मंत्री नित्यानंद राय ने कहा था कि राज्य सरकारों को साल 2009, 2012, 2014 और 2018 में अपने प्रदेशों में डिटेंशन सेंटर बनाने के लिए कहा था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

2 जुलाई 2019 को लोकसभा में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में गृह राज्य मंत्री जी कृष्ण रेड्डी ने कहा था कि गृह मंत्रालय ने एक 'मॉडल डिटेंशन सेंटर या होल्डिंग सेन्टर मैनुअल' बनाया है जिसे 9 जनवरी 2019 को सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को दिया गया है. मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

Monday, December 9, 2019

ब्रिटेन चुनाव: बोरिस जॉनसन के प्रचार के लिए हिंदी में बना वीडियो सॉन्ग वायरल #SOCIAL

ब्रिटेन में 12 दिसंबर को चुनाव होने हैं और 13 दिसंबर को चुनावी नतीजे आने हैं.

बीते पांच सालों में ब्रिटेन में ये तीसरा आम चुनाव है. चुनाव की तारीख़ जैसे-जैसे क़रीब आ रही है, वैसे-वैसे प्रचार तेज़ हो रहा है.

2011 की जनगणना के मुताबिक़, ब्रिटेन की कुल आबादी क़रीब छह करोड़ है. इस आबादी में क़रीब 2.5 फ़ीसदी भारतीय हैं.

इस वजह से चुनावों में राजनीतिक पार्टियां ऐसे प्रचार कर रही हैं, जिससे ब्रिटेन में रहने वाले भारतीयों को लुभाया जा सके. इसी का ताज़ा उदाहरण है, कंज़र्वेटिव पार्टी के भारतीय उम्मीदवार और पूर्व सांसद शैलेस वारा का ट्वीट किया वीडियो.

इस वीडियो में हिंदी गीत सुनाई देता है, जिसमें बोरिस जॉनसन को जिताने और लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन के विरोध में कई बातें सुनाई देती हैं.

वीडियो में पीएम नरेंद्र मोदी के साथ बोरिस जॉनसन की तस्वीरें भी दिखाई देती हैं. गीत के बोल कुछ यूं हैं:

प्रचार का ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और भारत में कुछ लोग इस वीडियो पर अपनी प्रतिक्रियाएँ दे रहे हैं.

हालांकि इस वीडियो को बोरिस जॉनसन या कंज़र्वेटिव पार्टी के ऑफिशियल हैंडल से आधिकारिक तौर पर शेयर नहीं किया गया है. लेकिन यह साफ़ नहीं है कि वीडियो किसने बनाया है.

शंभु घटक ने लिखा, ''बोरिस जॉनसन का प्रचार गीत किसी लोकल स्टूडियो में बनाया गया है ताकि स्थानीय कलाकारों के लिए नौकरियां पैदा की जा सकें.''

सिद्दाक़ आहूजा लिखते हैं, ''कंज़र्वेटिव पार्टी ने बॉलीवुड जैसा गाना बनाया है. ये विज्ञापन इतना ख़राब है कि आप इसे देखकर बोरिस जॉनसन को वोट नहीं करेंगे.''

प्रफुल्ल केतकत ने ट्वीट किया, ''बोरिस जॉनसन का ये हिंदी वीडियो ग़ज़ब क्रिएटिव है. ये एक बार फिर बताता है कि भारतीय जहां कहीं भी रहें वो चुनावों को ख़ूब पसंद करते हैं.''

फारूक़ यूसुफ़ ने लिखा- बोरिस जॉनसन का हिंदी अभियान काफ़ी मज़ाकिया है, ख़ासतौर पर बोरिस का हिंदी उच्चारण.

ब्रिटेन चुनावों में भारतीयों से जुड़ा एक और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

इस वीडियो में एक शख़्स मंदिर में लोगों से लेबर पार्टी के ख़िलाफ़ कई बातें कहते नज़र आते हैं. वो कहते हैं, ''लेबर पार्टी के जेरेमी एंटी-मोदी, एंटी इंडिया हैं. लेबर पार्टी के आने पर हिंदू और सिख सुरक्षित नहीं रहेंगे.''

बोरिस जॉनसन कई मौक़ों पर मंदिर और गुरुद्वारे भी जाते रहे हैं.

हालांकि, 2017 में जब बोरिस जॉनसन विदेश मंत्री थे, तब एक बार गुरुद्वारे में जाने पर उन्हें सिखों की नाराज़गी भी झेलनी पड़ी थी.

चुनावी प्रचार के दौरान तब गुरुद्वारे में बोरिस ने कहा था, ''जब भी ब्रिटेन से भारत के लोग लौटते हैं तो अपने साथ ड्यूटी फ्री व्हिस्की की बोतल ज़रूर ले जाते हैं क्योंकि भारत में स्कॉच व्हिस्की पर 150 फ़ीसदी ड्यूटी लगती है. कंज़र्वेटिव पार्टी की सरकार आई तो भारत के लोग व्हिस्की का लुत्फ़ उठा सकेंगे क्योंकि मुक्त व्यापार के प्रावधानों के तहत स्कॉच पर ब्रिटेन इम्पोर्ट ड्यूटी नहीं लगाएगा."

तभी एक सिख महिला ने आपत्ति दर्ज की, "ये बहुत ही बुरी बात है कि बोरिस जॉनसन गुरुद्वारे में आकर शराब को बढ़ावा देने वाली बातें कर रहे हैं." बोरिस ये सुनकर चुप हो जाते हैं.

बोरिस जॉनसन की पत्नी मरीना व्हीलर हैं जिनके पिता अंग्रेज़ हैं और माँ दीप सिंह, जो भारतीय मूल की सिख महिला हैं.

ये पहला मौक़ा नहीं है, जब किसी देश के चुनावों में भारत की चर्चा हो रही हो.

इससे पहले इसराइल के चुनावों में प्रचार के लिए बेन्यामिन नेतन्याहू ने भी पीएम नरेंद्र मोदी और कई राष्ट्र प्रमुखों की तस्वीरें इस्तेमाल की थीं.

अमरीकी चुनावों के दौरान भी एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें डोनल्ड ट्रंप 'आई लव हिंदू' कहते दिखे थे.

Tuesday, December 3, 2019

पीएम मोदी ने सुप्रिया सुले को कैबिनेट मंत्री बनाने का दिया था ऑफ़र - शरद पवार: प्रेस रिव्यू

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र में राजनीतिक अनिश्चितता के वक़्त उनके सामने एक प्रस्ताव रखा था मगर उन्होंने प्रधानमंत्री को स्पष्ट कर दिया था कि उनके लिए उनके साथ काम कर पाना संभव नहीं हो पाएगा.

पवार ने एक मराठी टीवी चैनल से कहा "पीएम मोदी ने कहा था कि मेरा राजनीतिक अनुभव उनके लिए सरकार चलाने में मददगार साबित होगा. उन्होंने कहा था कि राष्ट्रीयता के कुछ मुद्दों पर हमारी सोच एक जैसी है. इसके लिए उन्होंने प्रस्ताव भी दिया था."

शरद पवार के इस बयान को इंडियन एक्सप्रेस ने प्रकाशित किया है. पवार ने इस इंटरव्यू में दावा किया कि पीएम मोदी ने उन्हें ऑफ़र दिया था कि वो उनकी बेटी सुप्रिया सुले को कैबिनेट मंत्री का पद देंगे लेकिन उन्होंने पेशकश को ठुकरा दिया.

हालाँकि अपने इंटरव्यू में पवार ने इस बात से साफ़ इनक़ार कर दिया कि मोदी सरकार ने उन्हें कभी भी राष्ट्रपति पद का प्रस्ताव दिया था. उन्होंने कहा, "यह बात पूरी तरह से निराधार है कि उन्होंने मुझे राष्ट्रपति पद की पेशकश की थी लेकिन यह बात सही है कि उन्होंने सुप्रिया के लिए कैबिनेट मंत्री का ऑफ़र जरूर दिया था. "

पवार का यह बयान ऐसे समय में आया है जबकि एक समय बीजेपी की सहयोगी पार्टी रही शिवसेना उससे अलग होकर कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाने में कामयाब रही है.

तमिलनाडु में कोयंबटूर के मेट्टूपालयम में एक कंपाउंड की दीवार गिरने से तीन घर ढह गए, जिसमें दबकर 17 लोगों की मौत हो गई. मारे गए इन 17 लोगों में तीन बच्चे भी शामिल हैं. नादूर गांव में हादसा तब हुआ जब ये सभी लोग अपने-अपने घरों में सो रहे थे.

पुलिस और अधिकारियों का कहना है कि रविवार से ही रुक-रुककर लगातार बारिश हो रही है जिसकी वजह से कंपाउंड की दीवार इन मज़दूरों के घरों पर गिर गई जिसमें दबकर इनकी मौत हो गई.

इस ख़बर को द हिंदू ने प्रकाशित किया है. इन मज़दूरों के घर से कुछ दूरी पर ही रहने वाले पी रामास्वामी का कहना है कि क़रीब पौने पांच साढ़े पांच बजे के क़रीब उन्होंने तेज़ आवाज़ सुनी.

रामास्वामी ने कहा,"मुझे लगा कि कहीं बहुत पास में बिजली गिरी है लेकिन मैंने बाहर आकर कुछ पता करने से बेहतर घर में ही रहना समझा क्योंकि उस वक़्त भी बारिश हो ही रही थी."

अयोध्या में विवादित ज़मीन के मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ एक मुस्लिम पक्षकार ने रिव्यू पिटिशन यानी पुनर्विचार याचिका दाखिल की है.

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैय्यद अशद रशीदी की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि विवादित 2.77 एकड़ ज़मीन को रामलला को सौंपना और मस्जिद बनाने के लिए किसी दूसरी जगह पांच एकड़ ज़मीन देने के संवैधानिक बेंच के फ़ैसले में कमियां हैं.

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना सैय्यद अरशद मदनी ने कहा कि अदालत का फ़ैसला सुबूतों और तर्कों पर आधारित नहीं है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट अपने दिए गए फ़ैसले पर कायम रहती है तो भी वो इसे मानेंगे.

Thursday, November 21, 2019

क्या महिलाओं का दिमाग़ पुरुषों से अलग होता है?

कॉग्निटिव न्यूरो साइंटिस्ट गिना रिप्पन की ज़िंदगी में साल 1986 में 11 जून सबसे हसीन दिन था. इस दिन उन्होंने अपनी बेटी को जन्म दिया था. और यही वो दिन था जब मशहूर फ़ुटबॉलर गैरी लिनेकर ने मर्दों के फ़ुटबॉल वर्ल्ड कप में हैट्रिक बनाई थी.

उस रात रिप्पन के वॉर्ड में 9 बच्चे पैदा हुए थे. सभी रोते हुए नवजातों को बारी-बारी से उनकी मां को सौंपा जा रहा था.

जब रिप्पन को उनकी बच्ची सौंपी गई तो नर्स ने कहा, "ये बच्ची सबसे ज़्यादा शोर कर रही है. लड़की जैसी आवाज़ ही नहीं लग रही."

नर्स की बात सुनकर रिप्पन सोच में पड़ गईं कि अभी उनकी बच्ची को पैदा हुए 10 मिनट भी नहीं हुए और उसे लड़की और लड़के की श्रेणी में बांट दिया गया.

लड़का-लड़की में भेद वाली ऐसी सोच पूरी दुनिया फैली है.

जबकि ईश्वर ने दोनों को एक जैसा बनाया है. ख़ुद इंसान भी यही मानता है कि मर्द और औरत ज़िंदगी की गाड़ी के दो पहिए हैं.

फिर भी दोनों आपस में ही फ़र्क़ करते हैं. मर्द और औरत के ज़हन बुनियादी तौर पर एक दूसरे से अलग हैं.

इस विचार को चुनौती देने के लिए रिप्पन कई दशकों से काम कर रही हैं. उनका काम 'द जेंडर्ड ब्रेन' नाम की किताब में दर्ज हैं.

रिप्पन ख़ुद इस बात की वक़ालत करती हैं कि इंसान का दिमाग़ लिंग की बुनियाद पर एक दूसरे अलग नहीं होता.

बल्कि समाज इसका एहसास कराता है. ऐसे में उनकी किताब का शीर्षक थोड़ा गुमराह करने वाला सा लगता है.

पैदाइश से लेकर बुढ़ापे तक हमारे बर्ताव, चाल-ढाल और सोच-समझ के तरीके को आधार बनाकर ही मान लिया गया है कि औरत और मर्द के दिमाग़ में बुनियादी फ़र्क़ है.

रिप्पन को इस बात की तकलीफ़ ज़्यादा है कि वर्ष 2019 में भी हम ऐसी दक़ियानूसी सोच को आगे बढ़ा रहे हैं. लैंगिक भेदभाव आज भी जारी है. भले ही इसका रंग-रूप बदल गया है.

क़रीब 200 बरसों से हम ये जानने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या मर्द का दिमाग़ औरत के दिमाग़ से अलग है. लेकिन हमेशा ही इस सवाल का जवाब नहीं में रहा है. साइंस और तकनीक की मदद लेने के बाद भी कुछ पुराने ख़याल पूरी तरह ग़लत साबित हुए हैं. फिर भी समाज से ये फ़र्क़ नहीं मिट रहा है.

एक सच ये भी है कि महिलों का मस्तिष्क पुरूषों के मुक़ाबले औसतन छोटा होता है. औरतों के मस्तिष्क का आकार पुरुषों से क़रीब 10 फ़ीसद छोटा होता है. और इसी की बुनियाद पर महिलाओं की समझ को कम कर के आंका जाता है.

रिप्पन कहती हैं अक़्ल औऱ समझ का संबंध अगर मस्तिष्क के आकार से होता, तो हाथी और स्पर्म व्हेल का दिमाग़ आकार में इंसान से कहीं ज़्यादा बड़ा होता है. तो फिर उनमें इंसान जैसी समझ क्यों नहीं होती. बताया जाता है कि मशहूर वैज्ञानिक आईंस्टाइन का मस्तिष्क औसत मर्दों के मुक़ाबले छोटा था. लेकिन उनकी समझ और अक़्ल का कोई सानी नहीं था.

इस बुनियाद पर कहा जा सकता है कि दिमाग़ के आकार का अक़्लमंदी से कोई लेना देना नहीं है. फिर भी, समाज में फ़र्क़ करने वाली सोच अपनी जड़ मज़बूत किए हुए है.

नक़्शे पढ़ने का काम पूरी तरह समझ की बुनियाद पर आधारित है. लेकिन अक्सर ये काम मर्दों को ही दिया जाता है क्योंकि माना जाता है कि वही इस काम को बेहतर कर सकते हैं.

रिप्पन का कहना है कि मस्तिष्क के आकार के अंतर को कुछ ज़्यादा ही बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया है. ये तो हम जानते हैं कि हमारा मस्तिष्क दो गोलार्ध में बंटा होता है .

इन दोनों हिस्सों को बीच होता है कॉर्पस कैलोसम जो दिमाग़ के दोनों हिस्सों के बीच पुल का काम करता है.

इसे इंफ़ॉर्मेशन ब्रिज या सूचना का पुल भी कहते हैं. और ये ब्रिज पुरुषों के मुक़ाबले महिलाओं में ज़्यादा व्यापक होता है.

साइंस की ये रिसर्च महिलाओं को अतार्किक बताने वालों को आईना दिखाती है. अक्सर कहा जाता है कि महिलाओं में सोचने समझने की क्षमता कम होती है.

क्योंकि, उनकी सोच पर जज़्बात ज़्यादा हावी रहते हैं. जबकि रिसर्च इन सभी बातों को ग़लत साबित करती है.