Tuesday, December 3, 2019

पीएम मोदी ने सुप्रिया सुले को कैबिनेट मंत्री बनाने का दिया था ऑफ़र - शरद पवार: प्रेस रिव्यू

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र में राजनीतिक अनिश्चितता के वक़्त उनके सामने एक प्रस्ताव रखा था मगर उन्होंने प्रधानमंत्री को स्पष्ट कर दिया था कि उनके लिए उनके साथ काम कर पाना संभव नहीं हो पाएगा.

पवार ने एक मराठी टीवी चैनल से कहा "पीएम मोदी ने कहा था कि मेरा राजनीतिक अनुभव उनके लिए सरकार चलाने में मददगार साबित होगा. उन्होंने कहा था कि राष्ट्रीयता के कुछ मुद्दों पर हमारी सोच एक जैसी है. इसके लिए उन्होंने प्रस्ताव भी दिया था."

शरद पवार के इस बयान को इंडियन एक्सप्रेस ने प्रकाशित किया है. पवार ने इस इंटरव्यू में दावा किया कि पीएम मोदी ने उन्हें ऑफ़र दिया था कि वो उनकी बेटी सुप्रिया सुले को कैबिनेट मंत्री का पद देंगे लेकिन उन्होंने पेशकश को ठुकरा दिया.

हालाँकि अपने इंटरव्यू में पवार ने इस बात से साफ़ इनक़ार कर दिया कि मोदी सरकार ने उन्हें कभी भी राष्ट्रपति पद का प्रस्ताव दिया था. उन्होंने कहा, "यह बात पूरी तरह से निराधार है कि उन्होंने मुझे राष्ट्रपति पद की पेशकश की थी लेकिन यह बात सही है कि उन्होंने सुप्रिया के लिए कैबिनेट मंत्री का ऑफ़र जरूर दिया था. "

पवार का यह बयान ऐसे समय में आया है जबकि एक समय बीजेपी की सहयोगी पार्टी रही शिवसेना उससे अलग होकर कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाने में कामयाब रही है.

तमिलनाडु में कोयंबटूर के मेट्टूपालयम में एक कंपाउंड की दीवार गिरने से तीन घर ढह गए, जिसमें दबकर 17 लोगों की मौत हो गई. मारे गए इन 17 लोगों में तीन बच्चे भी शामिल हैं. नादूर गांव में हादसा तब हुआ जब ये सभी लोग अपने-अपने घरों में सो रहे थे.

पुलिस और अधिकारियों का कहना है कि रविवार से ही रुक-रुककर लगातार बारिश हो रही है जिसकी वजह से कंपाउंड की दीवार इन मज़दूरों के घरों पर गिर गई जिसमें दबकर इनकी मौत हो गई.

इस ख़बर को द हिंदू ने प्रकाशित किया है. इन मज़दूरों के घर से कुछ दूरी पर ही रहने वाले पी रामास्वामी का कहना है कि क़रीब पौने पांच साढ़े पांच बजे के क़रीब उन्होंने तेज़ आवाज़ सुनी.

रामास्वामी ने कहा,"मुझे लगा कि कहीं बहुत पास में बिजली गिरी है लेकिन मैंने बाहर आकर कुछ पता करने से बेहतर घर में ही रहना समझा क्योंकि उस वक़्त भी बारिश हो ही रही थी."

अयोध्या में विवादित ज़मीन के मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ एक मुस्लिम पक्षकार ने रिव्यू पिटिशन यानी पुनर्विचार याचिका दाखिल की है.

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैय्यद अशद रशीदी की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि विवादित 2.77 एकड़ ज़मीन को रामलला को सौंपना और मस्जिद बनाने के लिए किसी दूसरी जगह पांच एकड़ ज़मीन देने के संवैधानिक बेंच के फ़ैसले में कमियां हैं.

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना सैय्यद अरशद मदनी ने कहा कि अदालत का फ़ैसला सुबूतों और तर्कों पर आधारित नहीं है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट अपने दिए गए फ़ैसले पर कायम रहती है तो भी वो इसे मानेंगे.

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